उत्तराखण्ड
मोटे अनाज ( मिलैट्स) का महत्व एवं लाभकारी गुण।
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श्रीनगर गढ़वाल – डाo राजेंद्र कुकसाल उद्यान विशेषज्ञ आज मोटे अनाज (मिलैटस) के महत्व एवं लाभकारी गुणों के विषय पर रोचक जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं
कुछ दशक पहले ज्वार बाजरा ,रागी, सांवा जैसे मोटे अनाज भारत में सभी का पेट भरते थे साथ ही लोग ज्यादा स्वस्थ एवं उर्जावान रहते थे। साठवें दशक में देश में आधुनिक रसायनिक कृषि द्वारा खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से हरित क्रांति आई, सरकारी नीतियों में गेहूं धान व अन्य नगदी फसलों को वरीयता देने से मोटे अनाज सिमटते गये और गेहूं चावल ने हर तरफ कब्ज़ा कर लिया।
वर्तमान समय में मोटे अनाजों के महत्व एवं विशेषताओं के कारण, आज पूरी दुनिया मोटे अनाजों की तरफ वापस लौट रही है।
जलवायु परिवर्तन ने भी देश में गेहूं और धान के उत्पादन को प्रभावित किया है,इस कारण भी मोटे अनाज पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
मोटे अनाज के तौर पर ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), जौ, कोदो, सामा/ सांवा/मादिरा (झंगोरा), लघु धान्य या कुटकी, कांगनी(कौणीं) रामदाना और चीना जैसे अनाज शामिल हैं।
मोटे अनाज की विशेषता –
उत्पादन में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है।
मोटे अनाज कम उपजाऊ मिट्टी में भी उग जाते हैं इनकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।
इन फसलों में कीट व्याधि का कम प्रकोप पाया जाता है।
सूखे के मौसम में जब सभी फसलें सूखने लगती है उस समय भी मोटे अनाज की फसलें खड़ी रहती है।
लघु अवधि की फसलें हैं। बाजरा 70-100 दिनो में होती है जवकि धान गेहूं 120-150 दिनों में तैयार होते हैं। सिंचित घाटी वाले स्थानों में गेहूं तथा धान के बीच में चीना की” कैच “फसल ली जाती है।
उपज का भंडार लम्बे समय तक किया जा सकता है। ये अनाज जल्दी खराब भी नहीं होते. 10 से 12 साल बाद भी ये खाने लायक होते हैं. चावल/गेहूं की तुलना में अधिक शेल्फ जीवन होता है।मोटे अनाज को उचित भंडारण स्थितियों के तहत काफी समय तक संग्रहीत किया जा सकता है, इसलिए उन्हें ‘अकाल भंडार’ बना दिया जाता है।
कम सिंचाई , कम उर्वरकों की खपत व बिना कीट व्याधि रसायनों के छिड़काव के कारण कम निवेश की आवश्यकता होती है।
अपने उच्च पोषक तत्वों के कारण मोटे अनाजों का दुनिया के विकसित क्षेत्रों में अच्छा बाजार है।
मोटे अनाज सेहत के लिए फायदेमंद है इन्हें पोषण का पावर हाउस भी कहा जाता है। इनमें प्रोटीन,फाइबर, विटामिन्स एवं मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
रागी उच्च पोषण वाला मोटा अनाज है. इसमें नेच्युरल कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है बढते बच्चे और बुजुर्गो की हड्डी मजबूत बनाने में मदद करता है।
सांवा में फाइबर और आइरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
कंगनी डीटोक्सि -फिकेसन में मदद करता है।
ज्वार ग्लूटेन फ्री है डाइबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक भोजन है साथ ही प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।
बाजरा में विटामिन B6 व फोलिक एसिड मोजूद है खून की कमी दूर करता है।
पोषण के साथ साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
भारत सरकार प्रत्येक भारतवासी की थाली में पर्याप्त पोषण युक्त आहार पहुंचाने के उद्देश्य से पोषण के पर्याय मोटे अनाज (मिलैट्स) के उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा गेहूं और चावल की तुलना में मिलैट्स को उनकी पोषण संबंधी श्रेष्ठता के कारण पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया।
भारत सरकार का फसल प्रणाली में पोषक अनाज को शामिल करना किसानों को पौष्टिक भोजन में आत्मनिर्भरता,कम इन पुट के साथ रिटर्न में वृद्धि वेहतर बाजार समर्थन और जलवायु प्रभाव में सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसी कड़ी में भारत के नेतृत्व में बर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक- अनाज वर्ष के रूप में मनाने की तैयारी की गई है।
केंद्र सरकार मोटे अनाज की खेती पर जोर दे रही है क्योंकि बढ़ती आबादी के लिए पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध करवाने में यही अनाज सक्षम हो सकते हैं ।मोटे अनाज पोषण का सबसे बेहतरीन जरिया हैं, सरकार इसके पोषक गुणों को देखते हुए इसे मिड डे मील स्कीम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी शामिल करने की सोच रही है।
पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज को श्री अन्न कहा जाता है। देश में श्री अन्न की पैदावार और खपत को बढ़ाने के लिए सरकार ने ‘श्री अन्न योजना’ की शुरुआत करने का फैसला किया है, इस योजना के तहत सरकार किसानों को मोटे अनाज की उपज के लिए आर्थिक और कृषि संबंधित मदद देगी। इससे भारत दुनिया के श्री अन्न का ग्लोबल लीडर के रूप में उभरेगा, इसके साथ ही श्री अन्न पर रिसर्च करने के लिए हैदराबाद के भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा।
मिलैट्स ही हमारे भविष्य के आहार हैं। वास्तव में मिलैट्स एक स्वदेशी सुपर फूड है जो प्रोटीन, फाइबर विटामिन और खनिजों से परिपूर्ण होते हैं।
बदली जीवन शैली में स्वस्थ शरीर के लिए आहार में मिलैट्स को जोड़ना आवश्यक एवं अपरिहार्य हो गया है। समय के साथ यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपनी आहार संबंधी आदतों में बदलाव करने का प्रयास करें , कार्बोहाइड्रेट से ज्यादा ध्यान प्रोटीन खनिज तत्वों विटामिन्स और फाइबर पर केंद्रित करें।
मोटे अनाजों के पोषक गुणों की जानकारी आमजन को देकर उन्हें जागरूक करना होगा। जागरूकता बढ़ेगी तो मांग बढ़ेगी। बाजार में मोटे अनाजों की मांग बढ़ने से किसान स्वत: ही इन अनाजों को उपजाने से प्रेरित होगा। डॉ०राजेन्द्र कुकसाल उद्यान विशेषज्ञ (उत्तराखंड)
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