Connect with us

कहानी – कांग्रेस के गढ़ रहे नैनीताल लोकसभा में जब कांग्रेस प्रत्याशी को मिले थे मात्र 15,612 वोट साथ ही हो गई थी जमानत जप्त !

उत्तराखण्ड

कहानी – कांग्रेस के गढ़ रहे नैनीताल लोकसभा में जब कांग्रेस प्रत्याशी को मिले थे मात्र 15,612 वोट साथ ही हो गई थी जमानत जप्त !

कांग्रेस नेता एनडी तिवारी को कौन नहीं जानता पहाड़ी क्षेत्रों में तो एनडी तिवारी के नाम से लोग इतने प्रभावित हुए की उन्हें हारने का मौका बहुत कम दिया लेकिन क्या आपको पता है अपने जमाने के दिग्गज कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी ने 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से मनमुटाव के कारण अपनी खुद की नई पार्टी बनाई थी नाम था “तिवारी कांग्रेस” तब वह नैनीताल सीट से चुनाव लडे थे । अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी को उन्होंने पांचवें नंबर में पहुंचा दिया था इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पांचवें स्थान पर रहे और उसकी जमानत तक जब्त हो गई थी। उस दौर में एनडी तिवारी की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी। 1963 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने के साथ केंद्र में कई बार मंत्री बनाए गए। हालांकि, एक ऐसा समय भी आया जब उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बना ली।वर्ष 1994 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (तिवारी) नाम से पार्टी बनाई। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने नैनीताल संसदीय सीट से इसी दल का प्रतिनिधित्व करते हुए चुनाव लड़ा। उन्हें फूल चढ़ाती महिला चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था।दूसरी ओर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रयाग दत्त भट्ट को अपना प्रत्याशी बनाया। पूरे चुनाव के दौरान अधिकांश कांग्रेसियों के तिवारी के साथ चले जाने से पार्टी को प्रचार के लिए कार्यकर्ता मिलना भी मुश्किल हो गया। चुनाव परिणाम में तीन लाख से अधिक वोट प्राप्त कर एनडी तिवारी ने जीत दर्ज की।दूसरे स्थान पर रहे भाजपा प्रत्याशी को 1.51 लाख से अधिक मत मिले। पांचवें स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी को महज 15,612 मत मिलने से उसकी जमानत तक जब्त हो गई थी।एनडी तिवारी के कांग्रेस से अलग होने के बाद इस पूरे क्षेत्र में पार्टी की हालत बिगड़ गई थी। हालांकि 1996 में ही सोनिया गांधी के हस्तक्षेप पर एनडी तिवारी ने अपनी पार्टी का विलय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कर लिया था..वैसे कहा जाता है कि लोकसभा के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर होते हैं प्रत्याशियों का रोल यहां पर काम होता है लेकिन कई बार चुनाव चिन्ह से ज्यादा प्रत्याशियों को लोग पसंद करने लगते हैं चाहे वह लोकसभा का चुनाव ही क्यों ना हो, जैसे वर्तमान समय में टिहरी से बॉबी पंवार इसके एक उदाहरण के तौर पर उभर कर आए हैं ..

Ad Ad

More in उत्तराखण्ड

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page