Connect with us

रवांई क्षेत्र के मंदिर एवं मेलों का अतीत से है संबंध।

उत्तरकाशी

रवांई क्षेत्र के मंदिर एवं मेलों का अतीत से है संबंध।

दिनेश रावत

देवलांग देवभूमि उत्तराखंड के सीमांत उत्तरकाशी के पश्चिमोत्तर रवांई क्षेत्र का एक प्रमुख व प्रसिद्ध लोकोत्सव है।
परंपरा के अनुसार देवलांग का आयोजन मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि को होता है। उसी क्रम में इस बार भी देवलांग अपार हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई।


देवलांग का आयोजन रवांई क्षेत्र के बनाल पट्टी के आराध्य इष्ट देव श्री रघुनाथ जी के गैर बनाल स्थित मंदिर में होता है। जिसकी तैयारियां सप्ताह भर पहले से शुरू हो जाती हैं।
इस आयोजन में देवता वजीर, थोक, मंदिर समिति, गैर गांव के नटाण तथा ब्याली के ग्रामीणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
खान-पान, परिधान के अतिरिक्त देवलांग के दौरान गीत-संगीत व नृत्य की जो धूम रहती है, देखते ही बनती है।
सभी ग्रामीण देवलांग जाने के लिए लंबी-लंबी मशालें तैयार करते हैं जिन्हें ओला कहते हैं।


मंदिर में इष्टदेवी-देवताओं के पूजन-वंदन के साथ देवलांग का उत्सव शुरू होता है। सबसे पहले वजीरों को पिठांई और उसके बाद गैर के नटाण तथा ब्याली के लोगों को पिठांई दी जाती है।


इसके साथ शुरू होता है देवलांग का रोमांच। देवलांग में पहुंचे साठी व पानशाही थोक के लोग लाठी-डंडों के सहारे भारी-भरकम देवलांग को खड़ा करके उस पर अग्नि प्रज्जवलित करते हैं।
देवलांग के खड़ा होते ही समूचा जन समुदाय खुशी से झूम उठता है।


इसके साथ ही अधिकांश लोग देवाशीष पाकर घर को लौट आते हैं तो कुछ लोग मड़केश्वर महादेव के मंदिर में जाकर हवन-पूजन करते हैं।
इसी के साथ देवलांग पूर्णता को प्राप्त होती है।

Ad Ad

More in उत्तरकाशी

Trending News

धर्म-संस्कृति

राशिफल अक्टूबर 2024

About

प्रतिपक्ष संवाद उत्तराखंड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने क्षेत्र की ख़बरों को प्रसारित करने हेतु हमसे संपर्क करें  – [email protected]

Editor

Editor: Vinod Joshi
Mobile: +91 86306 17236
Email: [email protected]

You cannot copy content of this page