उत्तराखण्ड
उत्तराखंड की इस जगह लकड़ियां बारात लेकर जाती हैं।
देवभूमि यानी कि उत्तराखंड में यूं तो कई अनोखी चीजे खुद में समाए हुए हैं। यहां के लोग, संस्कृति, रीति रिवाज़, पहनावा उत्तराखंड और भी खास बनाता है। लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसी जगह भी जहां के रीति रिवाज पूरी दुनिया से अलग है। दुनिया भर में अगर कही मानव जाति प्रकृति से सबसे ज्यादा जुड़ी हुई है, तो वो यहीं के लोग हैं। यहां के लोग अपनी संस्कृति और रीति रिवाज से बेहद प्रेम करते है, और दूसरो के रीति रिवाजों का सम्मान करना भी अच्छे से जानते हैं। उत्तराखंड तीन अंगो में बटा हुआ है, कुमाऊं, गढ़वाल और जौनसार। कुमाऊं और गढ़वाल के बारे में आपने बहुत सुना होगा लेकिन जौनसार के बारे में कोई ज्यादा नहीं जानता और न ही बात करता है, लेकिन आज के इस वीडियो में हम आपको जौनसार के कुछ ऐसे रीति रिवाज के बारे में बात करेंगे जो उत्तराखंडीयो को भी शायद ही मालूम हो। जौंसार का इतिहास जुड़ा है महाभारत के पांडवो से, यहां के लोगो को पांडवों का वंशज भी कहा जाता है। जौंसर बावर अपने प्राकृतिक बनावट की वजह से करीब 100 साल तक बाहरी दुनिया से बेहद अलग रहा, इसी के चलते जौनसार में आज भी वही सदियों से चले आ रहे पुराने रिवाजों का ही पालन किया जा रहा है। इन्ही पुराने रीति रिवाजों में एक बेहद ही अनोखा रिवाज़ ये है कि यहां की शादियों में लड़के नहीं बल्कि लडकियां बारात लेकर लड़के के घर पहुंचती है। शायद ही, इस परंपरा के बारे में आप पहली बार सुन रहें हो, लेकिन यहां सदियों से लड़की के बारात लेकर जाने की परंपरा चली आ रही है, इस रिवाज को यहां पर जोझुड़ा कहते हैं। वहीं यहां के लड़को की बाते करें उनके लिए एक बड़ा ही अनोखा रिवाज़ बना है। जौनसार में रहने वाले परिवार का बड़ा बेटा, चाहे कितना भी कमा ले, किसी भी देश से पढ़ाई कर ले, कितनी भी बड़े पद की नौकरी कर ले लेकिन उसकी शादी गांव से ही होगी, ये पुरानी परंपरा भी यहां सदियों से चली आ रही है। बड़े बेटे को गांव में बड़ी धूम धाम से कराए जाने का रिवाज़ है, जिसे यहां की भाषा में *ऐगला जोझुड़ा* यानी की wedding of the generation भी कहा जाता है। इसमें में बड़ी ही अनोखी रस्म भी होती है, जिसमें गांव की सारी महिलाओं को, जो उस गांव कि बहु है उनको भी एक ख़ास दावत दी जाती है, जिसमें उनको बड़े ही सम्मान से आमंत्रित किया जाता है। लोकल जौनसारी भाषा में इसके रैणी जमाना भी कहते है।