उत्तराखण्ड
यादों के झरोखे से – तड़क -भड़क वाले नेताओं से दूर रहे सांसद सुंदरलाल : 1987 में ठुकरा दिया था मंत्री पद , उन्हीं के पद चिन्हों पर चल रहे हैं बॉबी पंवार । क्या जीत पाएंगे बाजी ?
लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अपने चरम पर है, ऐसे में पुराने किस्से-कहानियां भी लोगों की जुबान पर तैर रहे इन किस्से कहानियों को लोग आज के नेताओं से भी जोड़ रहे हैं जिस तरह इस समय टिहरी में बॉबी पंवार चुनाव के लिए संघर्ष कर रहे हैं ऐसे ही अनेक बार अनेक नेताओं ने संघर्ष किए है और चुनाव भी जीते हैं छोटी-छोटी नुक्कड़ सभा और लोगों के बीच यह एहसास करा कर कि हम खास नहीं आम है इस तरह लोगों के दिलों में राज किया है ऐसे ही चर्चाएं साल 1984 में हरिद्वार से सांसद बने सुंदरलाल के बारे में भी हो रही है। सुंदरलाल आज भी बुजुर्ग ग्रामीणों के जेहन में जिंदा हैं। वह ऐसे सांसद थे, जिन्हें किसी भी पद का लालच नहीं था। सुंदरलाल जनता की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहते थे। लोग बताते हैं कि आज सांसद व विधायक का जिक्र आते ही तड़क-भड़क वाले नेता सामने आते हैं। उनकी गाड़ियों का काफिला दिखाई देता है, लेकिन सुंदरलाल बिल्कुल सादगीपूर्णजीवन जीने वाले नेता थे। आम आदमी को उनसे से मिलकर कभी नहीं लगा कि एक सांसद से मिल रहे हैं। लोगों ने कहा सांसद बनने के बाद हर नेता का सपना मंत्री बनने का होता है, लेकिन सुंदरलाल ने मंत्री का पद भी ठुकरा दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन सुंदरलाल ने मंत्री बनने से मना कर दिया था। उन्होंने अपने लिए कोई घर भी नहीं बनाया था। हरिद्वार में कार्यकर्ताओं के घर ही रुक जाते थे और देहरादून में भी किसी रिश्तेदार का पता देते थे। अगर उन्हें कोई समस्या बतानी होती थी तो दून के पते पर ग्रामीण उन्हें चिट्ठी लिख देते थे। समस्या का समाधान होने के बाद सुंदरलाल की ओर से चिट्ठी का जवाब दे दिया जाता था। 1987 में उनका निधन हो गया था। उनके निधन से ग्रामीण क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई थी।लोग अब इस प्रकार बॉबी पवार को देख रहे हैं और टिहरी से सांसद का चुनाव जिताने की कोशिश कर रहे हैं ।।