अल्मोड़ा
अल्मोड़ा के बिनसर अग्नि कांड में फायरबॉल से हुई चार मौतें : आखिर जान लीजिए क्या होती है फायरबॉल और कैसे बनती है ।।
जंगलों की आग से तबाह होता उत्तराखंड
अल्मोड़ा – उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जिले में 13 मई को जंगल की आग जो तांडव देखने को मिला था उसके पीछे के क्या कारण थे और कार्रवाई जिन अधिकारियों पर की गई उनका दोष था भी या केवल उन्हें अपनी वाह वाही लूटने के लिए निलंबित किया गया यह लेख इससे भी संबंधित है ।।
इस बार आग से रिकॉर्ड मौतें हुई दर्ज़
पहले हुआ क्या था इस पर थोड़ी सी नजर डालते हैं , बिनसर में वनाग्नि की चपेट में आने से वन विभाग के चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी. . वहीं सीएम पुष्कर धामी ने मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का भी ऐलान भी किया था , इस मामले में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने जांच के आदेश दिए , और वन विभाग को अंदेशा है कि हादसे की वजह फॉयर बॉल है, जिससे बेहद तेज और अप्रत्याशित तौर पर घटना घटित हुई और वन कर्मचारियों को बचाव करने के लिए समय नहीं मिल पाया।
मृतक परिवारों को सब को क्यों नहीं मिलेगी नौकरी
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने बताया विनसर अभयारण्य में हुए भीषण अग्निकांड में जान गंवाने वाले वन कर्मी और पीआरडी जवान के परिजनों को नौकरी मिलेगी। अन्य दो मृतकों के परिजनों की सरकार हरसंभव मदद करेगी। तो सवाल है सब को नौकरी क्यों नहीं मिल सकती ।।
CM धामी के एक्शन पर सवाल
सीएम धामी ने इस मामले में वन विभाग के उच्च अधिकारियों का जवाब तलब किया था ,साथ ही बिनसर की घटना में सख्त एक्शन लेते हुए डीएफओ वन प्रभाग अल्मोड़ा ध्रुव मार्तोलिया, सीएफ नॉर्थ कोको रोसे को निलंबित कर दिया।जबकि सीसीएफ पीके पात्रों को देहरादून मुख्यालय अटैच करने के आदेश जारी कर दिए थे ।
नेता अपनी जिम्मेदारी से भाग अधिकारियों के ऊपर डालते हैं जिम्मेदारी
यही सबसे विवाद का कारण भी बना है कि नेता अपनी जिम्मेदारी से भाग अधिकारियों के ऊपर डालते हैं जिम्मेदारी, इस पर लोग तरह-तरह की बातें लिख रहे हैं और कह रहे हैं कि जब कोई घटना होती है तो उस समय एकदम उस जगह पर अधिकारी कैसे पहुंच सकता है ,अगर लापरवाही की जिम्मेदारी ठहराई जाती है तो उसमें तो फिर सभी लोग शामिल होते हैं यहां तक की वन विभाग के मंत्री भी लेकिन केवल कुछ अधिकारियों को निलंबित करके सरकार वाह वाही तो लूट ले जाती है लेकिन इसका कोई दूरदर्शी परिणाम सामने नहीं आता , लोगों का कहना है कि अक्सर देखा जाता है कि नेता अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए दो तीन अधिकारियों को मुहावरा बना लेते हैं और उसमें भी अपनी वाह-वाही ही लूट के ले जाते हैं इस पर आप अपने विचार भी प्रकट कर सकते हैं।।
फायर बॉल को भी माना जा रहा है आग का कारण
अब हम जाने की कोशिश करते हैं आखिर इस हादसे की क्या वजह हो सकती है ? प्रथम दृष्टया इस हादसे की एक वजह फायर बॉल को भी माना जा रहा है। घटनास्थल पर जांच में कई सालों से काफी मात्रा में बांज की सूखी पत्तियां डंप होने का पता चला है। इसके अलावा घटनास्थल के पास तीखी ढाल भी है। ऐसे में आशंका है कि बांज की सूखी पत्तियां जो की काफी ज्वलनशील होती हैं, उसमें आग लगी और फायर बॉल बनने के बाद तेजी से आया होगा और उसकी चपेट में वहां जो वनकर्मी आ गए और उन्हें बचने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। यह संकेत और हालात देखकर वन अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं। हालांकि, यह एक आशंका है और अभी जांच रिपोर्ट आना शेष है।
आख़िर क्या होती है फायर बॉल
अब जानते हैं आख़िर क्या होती है फायर बॉल..वन अफसरों के अनुसार, जब जंगल की आग लगती है और तेज हवा चलती है तो एक फायर बॉल बनता है जो मूवमेंट करता है। इस फायर बॉल की चपेट में जो भी चीज आती है, उसे काफी नुकसान होता है। मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन कहते हैं कि चीड़ की पत्ती से पिरूल गिरता है। इस तरह बांज की पत्तियां गिरती हैं, जो फ्यूल लोड की तरह होती है। हालांकि, तुलनात्मक तौर पर बांज में आग कम लगती है, पर अगर एक बार आग लग जाए तो वह चीड़ की तुलना में देर तक सुलगती रहती है, इसलिए चीड़ में अगर आग लगती है, तो उसके बाद हरा होने की संभावना ज्यादा होती है, जबकि बांज के पेड़ में अगर आग लग गई है तो उसके फिर से हरा होने की संभावना कम रहती है। चीड़ में आग ऊपर से दिखाई देती है, जबकि कई बार बाज की आग अंदर-अंदर सुलगती रहती है और दिखाई नहीं देती है।
उत्तराखंड को आत्ममंथन करने की आवश्यकता
तो कारण जो कुछ भी रहा हो लेकिन इस बार जंगलों की आग से आज तक सबसे ज्यादा लोगों की मौत उत्तराखंड में हो गई है जो आंकड़े आने वाले वक्त के लिए और भी बड़े खतरे की ओर संकेत करते हैं इसलिए सरकारों और अधिकारियों और हम लोगों को अभी से सचेत होकर आने वाले सालों में इस समस्या से निपटने का प्रयास करना होगा ।।