उत्तराखण्ड
पद्मश्री से सम्मानित यशवंत सिंह कठोच उत्तराखंड के सांस्कृतिक विभाग से नाखुश : पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद कही बड़ी बात ।।
हाल में ही पद्मश्री से सम्मानित उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच का कहना है कि देवभूमि उत्तराखंड की लोक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को मिलने वाले बजट का आवंटन सही रूप में
किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा देश की राष्ट्रपति के हाथों सम्मान पाना मेरे लिए गौरवपूर्ण है। पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने के बाद डॉ. कठोच ने कहा धन कमी से ज्ञान की कमी होगी। उन्होंने कहा, पहाड़ के प्रति सरकार कमजोर रही हैं। भाजपा प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए कि केंद्र सरकार पर निर्भरता बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए। गढ़वाल को गढ़वाल का हिस्सा मिलना चाहिए, लेकिन राजनीतिक दल इन सांस्कृतिक पहलुओं को नहीं समझ रहे हैं। डॉ. यशवंत ने कहा, क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई कुमाऊं अच्छा कार्य कर रही है, लेकिन क्षेत्रीष पुरातत्व गढ़वाल इकाई का कामकाज बेहतर नहीं है। गढ़वाल इकाई का मुख्यालय पौड़ी है। जहां क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी तैनात हैं, लेकिन मुख्यालय को देहरादून अटैच किया गया है। शोध अधिकारी के पद पर
वर्षों से कोई नियुक्त नहीं हुई ,कुछ कर्मिकों के भरोसे कार्यालय
संचालित हो रहा है। ऐसा लगता है जैसे क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई पौड़ी को पंगु बना दिया गया हो।
डॉ. कठोच ने बताया देवभूमि धरोहरों की भूमि है, किसी को इन से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए । किसी भी धरोहर का पुनरोद्धार करना हो, तो क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग ही करें। पौड़ी का बिनसर महादेव एक प्राचीन मंदिर है। जिसकी मरम्मत की जा रही है , लेकिन उसकी शैली को ही बदल दिया है। पद्मश्री से सम्मानित इतिहासकार, शिक्षाविद् डॉ यशवंत सिंह कठोच का पहाड़ प्रेम इन बातों से साफ़ दिखता है ।।