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किताब कौतिक का 9वां सफल आयोजन रानीखेत में हुआ संपन्न।

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किताब कौतिक का 9वां सफल आयोजन रानीखेत में हुआ संपन्न।

रानीखेत– ‘क्रिएटिव उत्तराखंड-म्योर पहाड़’ द्वारा रानीखेत सांस्कृतिक समिति एवं छावनी परिषद के सहयोग से आयोजित ‘रानीखेत किताब कौतिक’ स्कूली बच्चों व स्थानीय की उत्साहपूर्ण भागीदारी के फलस्वरूप सफलता के चरम पर पहुंचकर सम्पन्न हुआ। 10, 11 और 12 मई 2024 को यह कार्यक्रम छावनी परिषद के बहुउद्देश्यीय सभागार में रखा गया था। कार्यक्रम के संयोजक हेम पंत, दयाल पांडे और हिमांशु ‘रिस्की’ पाठक ने बताया कि किताब कौतिक अभियान का एक उद्देश्य ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को प्रचारित करना भी है। इससे पहले यह आयोजन टनकपुर, बैजनाथ, चंपावत, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, भीमताल, नानकमत्ता और हल्द्वानी में हो चुका है।

प्राकृतिक सुषमा की दृष्टि से सदा सैलानियों को आकर्षित करता रहा उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के सु-विख्यात पयर्टन नगर रानीखेत में आयोजित किए गए ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का आयोजन बड़े स्तर पर आयोजित किया गया। 10 मई को रानीखेत तथा क्षेत्र के 15 विभिन्न विद्यालयों में अलग-अलग कैरियर से संबंधित ज्ञानवर्धक विशेषज्ञ सत्र रखे गए।

11 मई को छावनी परिषद के बहुउद्देशीय भवन में ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का भव्य गणेश मुख्य अतिथि कुमाऊं रेजीमेंट मुख्यालय कमांडेंट संजय यादव द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर व चिल्ड्रंस अकादमी सौनी द्वारा स्वागत गीत तथा जीजीआईसी रानीखेत की बालिकाओं द्वारा कर्ण प्रिय सरस्वती वन्दना से किया गया। आयोजित किताब कौतिक मुख्य कार्यक्रम की अध्यक्षता छावनी परिषद सीओ कृणाल रोहिल्ला द्वारा की गई. विशिष्ट अतिथि के तौर पर सेवानिवृत ले.जनरल डॉ.मोहन चंद्र भंडारी की उपस्थिति मुख्य रही।

आयोजन मुख्य अतिथि मुख्यालय कमांडेंट संजय यादव द्वारा किताब कौतिक पुस्तक स्टालों में पहुंच कर विभिन्न प्रकाशकों की सजी किताबों का अवलोकन किया गया तथा हस्तशिल्पियों के स्टालों का अवलोकन कर जानकारी हासिल की गई।

आयोजित आयोजन में अंचल व देश के नामी प्रकाशको की लगभग 70 हजार किताबों के साथ-साथ कुमाऊं उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते हस्तनिर्मित कलाकृतियों के स्टाल भी लगाए गए थे. अंचल के सु-विख्यात चीड़ बगट हस्तशिल्पी भुवन चंद्र साह तथा विशन दत्त जोशी ‘शैलेश’ की कुमाऊनी संस्कृत रामायण सहित अनेक किताबें आकर्षण का केंद्र रही। द्वाराहाट की मंजू साह द्वारा पिरुल पर किए गए हस्तशिल्प ने भी दर्शकों को अत्यधिक प्रभावित किया. गुरु ग्राम से आई ऐपण कलाकार यामिनी और लाटी आर्ट्स के उत्पादों ने भी आगंतुकों को प्रभावित किया। पुष्पा फरत्याल की साँस्कृतिक कठपुतलियों को देखकर बच्चे खुश नजर आए।

सुप्रसिद्ध लेखकों से परिसंवाद, पुस्तक विमोचन, सैन्य परंपरा, कृषि बागवानी, हिन्दी साहित्य में कविता विधा सहित अनेक साहित्यिक एवं सामयिक विषयों पर परिचर्चा, कवि सम्मेलन के साथ-साथ नेचर वाक, बाल प्रहरी लेखन कार्यशाला, सांस्कृतिक संध्या, स्कूली बच्चों के लिए गतिविधियां, दीर्घायु ऑर्गेनिक व हस्त-शिल्पियों के स्टाल के बीच 60 प्रकाशकों की 70 हजार पुस्तकों की उपलब्धता ने कौतिक देखने आए जनमानस व खासकर स्कूली बच्चों को एक नया आयाम दिया।

आयोजित किताब कौतिक में हजारों लोगों ने शिरकत कर मेले की रौनक बढ़ा, हजारों किताबों का अवलोकन कर अपने पसंदीदा लेखकों व विषयों की करीब पांच हजार किताबों की खरीद फरोख्त की गई। आयोजित किताब कौतिक में बाल साहित्य, विज्ञान, पर्यटन, राजनीति, लोक संस्कृति, आध्यात्मिक व पौराणिक साहित्य आदि से संबन्धित हर तरह की उपयोगी किताबों की भरमार देखी गई। दर्जनों प्रकाशकों की मौजूदगी ने आयोजित किताब कौतिक की महत्ता को बढ़ाने का काम किया। उदय किरोला जी के निर्देशन में हुई 5 दिवसीय लेखन कार्यशाला (5 से 9 मई) में विभिन्न विद्यालयों के 60 छात्र छात्राओं ने भाग लिया और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से रचनाशीलता की ओर कदम बढ़ाया.

पिथौरागढ़ से हमरो नेपाली पुस्तकालय के महेश बराल, कुमाऊनी मासिक पत्रिका आदलि-कुशलि के होशियार सिंह ज्याला, अल्मोड़ा बाल प्रहरी के संपादक उदय किरोला, महेंद्र ठकुराठी द्वारा ‘पहरु’ कुमाऊनी पत्रिका तथा रानीखेत के उत्साही व जागरुक टिप्पणीकार व प्रसिद्ध व्यवसाई आनंद अग्रवाल के द्वारा आजादी पूर्व के अखबारों व तत्कालीन कालखंड में प्रकाशित महत्त्वपूर्ण खबरों ने कौतिक में आए दर्शकों की जिज्ञासा को बढ़ावा देने का कार्य किया. हल्द्वानी से आए वरुणेश ने टेराकोटा के आभूषण प्रदर्शित किए। आयोजन में युवाओं और सैन्य परिवारों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की। “शिक्षा, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति का उत्सव” के विचार को सार्थक करता हुआ यह आयोजन बच्चों और युवाओं में पढ़ने लिखने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य में सफल रहा.

आयोजित किए गए तीन दिनी किताब कौतिक में नामी साहित्यकारों एवं लोक कलाकारों, साहित्य प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय स्कूली छात्र-छात्राओं तथा स्थानीय जनमानस की बड़ी संख्या में प्रभावशाली भागीदारी ने किताब कौतिक आयोजन की सोच को बल प्रदान किया। कई नामी रोजगार संबंधी विचारकों, साहित्यकारों व लोक कलाकारों में मौजूदा दौर के जाने-माने कवि गीत चतुर्वेदी, साहित्यकार भावना पंत, प्रसिद्ध जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, रजनीश कार्की, पद्मश्री शेखर पाठक, लोकगायिका कमला देवी, लोकगायक दिवान कनवाल, बाल कलाकार शिवांशु मेहता तथा घुघुती जागर टीम इत्यादि की उपस्थिति के साथ-साथ भारतीय उद्योग जगत से जुड़े टी सी उप्रेती, जी बी पंत कृषि विश्व विद्यालय पंत नगर के पूर्व कुलपति बी एस बिष्ट, जिम कार्बेट पक्षी विशेषज्ञ राजेश भट्ट, बागवानी के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गोपाल उप्रेती, इतिहासकार प्रो.अनिल जोशी, व्यवसाई अतुल कुमार अग्रवाल, छावनी परिषद मनोनीत सदस्य मोहन नेगी, राजेंद्र पंत, बी एस कालाकोटी, नरेश डोबरियाल, चारू तिवारी, चंदन डांगी, पुष्पा देवी, हिमांशु उपाध्याय, डॉ.ललित उप्रेती, पी सी तिवारी, त्रिभुवन गिरी, नीरज पंत, दयाल पांडे, दीप्ति, मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत आदि की प्रभावी उपस्थिति ने आयोजित कौतिक को यादगार बनाया।

सेवानिवृत ले.जनरल मोहन चन्द्र भंडारी द्वारा पहाड़ के लिए सैन्य सेवाओं का आर्थिक और समाजिक योगदान विषय पर प्रोजेक्टर के माध्यम से करियर काउंसलिंग की सैन्य संबंधी जानकारी दी गई. रजनीश कार्की द्वारा बच्चों को करियर वैश्विक रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। रक्षा संपदा निदेशक डॉ. दीर्घ नारायण यादव के साथ उपन्यास एवं कहानी विश्व साहित्य के विषय में विमल सती द्वारा तथा जाने माने कवि गीत चतुर्वेदी के साथ हेम पंत द्वारा प्रभावशाली परिचर्चा की गई। कुमाउनी भाषा की वर्तमान स्थिति पर डॉ. हयात सिंह रावत और अंग्रेजी साहित्य पर सैयद अली हामिद ने अपनी बात रखी। कृषि और बागवानी के क्षेत्र में गोपाल उप्रेती द्वारा भी परिचर्चा में प्रतिभाग किया गया. चौबीस साल के उत्तराखंड पर पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी, दिनेश तिवारी इत्यादि के साथ जगमोहन रौतेला की परिचर्चा प्रासंगिक रही.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के क्रम में विवेकानंद विद्या मंदिर, रानीखेत इंटर कालेज, आर्मी स्कूल, जी डी बिड़ला स्कूल, बियरशिवा स्कूल इत्यादि द्वारा मनभावन लोकगीत व नृत्य प्रस्तुत किए गए.

बर्डवाचिंग के दौरान जिम कार्बेट के पक्षी विशेषज्ञ राजेश भट्ट के सानिध्य में अतिथियों को रानीखेत की रानीझील और दलमोटी जंगल की सैर कराकर विभिन्न पक्षी प्रजातियों की जानकारी दी गई। रानीखेत के इर्द-गिर्द के स्वास्थवर्धक आभा से परिपूर्ण तथा जलवायु की विविधता से ओतप्रोत घने जंगलों में दुर्लभ की विभिन्न प्रजातियां हैं जो विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित कर सकती हैं। नेचर वॉक का समापन जंगलों में गाए जाने वाले परंपरागत लोकगीतों के साथ हुआ।

‘किताब कौतिक’ में आयोजित सांस्कृतिक संध्या दिवंगत लोकगायक प्रह्लाद मेहरा को समर्पित की गई। जिसमें लोकगायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, कमला देवी, दिवान कनवाल, बाल कलाकार शिवांशु मेहता, घुघुती जागर टीम इत्यादि द्वारा दिवंगत लोकगायक को स्वरांजली दी गई।

12 मई की सांय ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का समापन कवि सम्मेलन आयोजित कर किया गया जिसमें बड़ी संख्या में अंचल के कवियों व कवयित्रयों द्वारा गंभीर, रोचक व प्रभावशाली कविता पाठ किया गया। किताब कौतिक में आयोजित मुख्य आयोजन सहित, स्कूलों व लोक कलाकारों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों व कवि सम्मेलन का मंच संचालन आयोजन समिति अध्यक्ष विमल सती द्वारा बखूबी किया गया।
किताब कौतिक उत्सव समिति द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग किए सभी स्कूल अध्यापकों, आमंत्रित लोकगायकों, कवियों तथा गणमान्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.

विख्यात पर्यटन नगर रानीखेत में जनसहयोग से आयोजित किया गया किताब कौतिक आयोजकों के लिए आर्थिक रूप से चुनौती भरा रहा है। किताब कौतिक मुख्य आयोजक हेम पंत ने बताया कि स्थानीय लोगों में गजब का उत्साह दिखा। रानीखेत की टीम का सामंजस्य शानदार था और बाहर से आए सभी मेहमान आयोजन से बहुत खुश दिखे।

रानीखेत में आयोजित किताब कौतिक में प्रत्यक्ष रूप से स्कूली बच्चों व स्थानीय रहवासियों को आयोजित प्रेरणादाई ज्ञान मिला, हस्तशिल्प व लोक संस्कृति का समावेश देखने को मिला, आगंतुकों की प्रतिक्रियाओं से आयोजकों को किताब कौतिक आयोजित अभियान को निरन्तर आगे बढाने की ऊर्जा मिली। उम्मीद है कि किताब कौतिक की इस अनूठी पहल का संदेश पूरे देश में फैलेगा।

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