द्वाराहाट
पानी की मार झेल रहे बिंता वासियों को, वोट की मिली चोट ?
जल संकट में पूरा पहाड़
बिंता (अल्मोड़ा) – संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक धरती पर रहने वाला हर दूसरा इंसान पानी की गंभीर कमी झेल रहा है. पूरा देश जहां एक ओर तरक्की के दौर से गुजर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर दिन पर दिन पानी की बढ़ती कमी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. अल्मोड़ा में आज भी लोग पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं.
यहां पानी की समस्या आज से नहीं बल्कि कई सालों से जस की तस बनी हुई है. पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. तब जाकर कहीं 2, 4 डिब्बा पानी मिलता है .ऐसा ही हाल द्वाराहाट विकासखंड के बिंता पारकोट, धमकोट, नागैर आदि क्षेत्रों का है जहां लंबे समय से जलापूर्ति ठप रहने से लोगों में गुस्सा है। ग्रामीणों ने कहा कि बिंता पीएचसी में जलापूर्ति ठप रहने से मरीज भी बेहाल हैं।
नदी सूख कर रोखड़ बन गई।
हालांकि गगास नदी से नई पेयजल योजना बनाई जाती तो इस समस्या का हल निकल सकता था, लेकिन इसके लिए गंभीरता नहीं दिखाई गई। स्थानीय सभी लोगों ने जल्द जलापूर्ति बहाल न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
(सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश साह द्वारा कई बार किया गया था पत्राचार )
दरअसल पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्राम सभा पारकोट के ग्रामीणों ने समस्या से निजात पाने के लिए अनेक बार माननीयों का ध्यान आकर्षित किया है । अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा पारकोट में भारत सरकार द्वारा ‘हर घर जल हर घर नल’ की निर्माण इकाई के द्वारा गलत मैपिंग और मापन के कारण स्टोरेज टैंक के समीप से बिछी लाइन गंतव्य तक पानी नहीं पहुंचा पाई और इस कार्य को ग्रामीणों ने फेल करार दिया ।
लोगों का मानना है कि पूर्व की भांति पानी की समस्या आज भी ‘ज्यों कि त्यों’ बनी हुई है। इस समस्या से निजात पाने के लिए ग्रामीणों ने पंपिग पेयजल योजना के लिए एक मात्र विकल्प चुना तथा प्रतिनिधियों को भी लिपटिंग पेय जलयोजना का विकल्प ठीक लगा । पेयजल भंडारण के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिंता समीप धमकोट के टापू को चयन किया गया तथा स्वास्थ्य केंद्र को पहले प्राथमिकता मिले इस प्रकार योजना बनाई गई है । जिससे आगे पानी की समस्या में कुछ कमी आने की संभावना है ।।