उत्तराखण्ड
ऐसा क्या चल रहा है लद्दाख में, जिससे सरकार डर रही है?
आपने three idiot फिल्म तो ज़रूर देखी होगी, उसमें आमिर खान ने एक कैरक्टर play किया था, कैरेक्टर का नाम था फुनसुख वांगडू, वो real Soman wangchuk की लाइफ से inspire था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रियल लाइफ के सोनम वांगचुक आज कहां और किन हालातों में हैं? शायद आपको जानकर हैरानी हो सोनम वांगचुक पिछले कई दिनों से भूखे, प्यासे अनशन पर बैठे हुए हैं, अपनी कुछ मांगो को लेकर। Main stream media में जेल में elvish ने क्या खाया, केजरीवाल कस्टरी में कैसे रह रहें है, फिल्हाल इन्ही पर चर्चा हो रही है। लेकिन लद्दाख में इस वक्त क्या चल रहा है, इस बात से हर कोई अंजान हैं। सोनम वांगचुक 6 मार्च से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनके अनशन पर बैठने का सबसे बड़ा कारण हैं, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाना। इस अनशन में सर्फ सोनम वांगचुक ही नहीं बल्कि उनका साथ देने के लिए करीब 3 हज़ार लोग भी उनके साथ शामिल है। सोनम वांगचुक का कहना है कि केंद्र ने 4 साल पहले इसका वादा किया था, लेकिन अब वह अपनी बात से मुकर रहे हैं। सोनम जीरो डिग्री के तापमान में अपना जलवायु उपवास यानी ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं। वो केवल पानी और नमक का सेवन कर रहे हैं। हालाकि लंबे समय से चली आ रही उनकी ये भूख हड़ताल खत्म हो चुकी है, लेकिन उनका ये अनशन यहीं नहीं रुकने वाला। सोनम वांगचुक मुख्य तीन मांगों को लेकर अनशन पर बैठे हुए है। उनकी पहली मांग है “राइट टू vote” यानी कि मत देने का अधिकार। साल 2019 में लद्दाख को एक union territory बनाया गया लेकिन बिना किसी लैजिस्लेचर के यानि कि लद्दाख के लोग वोट देकर अपने लीडर्स नहीं चुन सकते। लद्दाख की दुसरी डिमांड है। Basic rights for tribal population. लद्दाख में टोटल पॉपुलेशन में से 90% पर्सेंट आबादी tribals की है, जिसकी वजह से वहां के लोग बड़ा अनोखा जीवन बिताते हैं, वहां के ट्राइबल्स का अनोखा पहनावा, रहन सहन, ख़ान पान सब बेहद अलग है लेकिन वहां की ट्राइबल जनजाति खुद को संरक्षित रख सकें इसके लिए,उनके पास अधिकार नहीं हैं, इसके चलते लद्दाख के लोग ट्राइबल रूल्स के लिए बेसिक राइट्स की डिमांड कर रहें हैं, जो उन्हें स्वस्थ्य, जमीन और कृषि कानून बनाने का अधिकार देगा। सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख के लोगो की तीसरी डिमांड है “protect the geography” लद्दाख भारत का इकलौता सबसे coldest desert है, लेकिन यहां पर लगातार इंडस्ट्रियल एक्टिवाइट्स बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से यहां के लोगों को पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इसके अलावा सोनम वांगचुक की मांग लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करना है। इसे लेकर वो पिछले 20 दिनों से लेह में शून्य से नीचे के तापमान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इस तापमान के बावजूद उनके प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाते ही दोनों राज्यों के विशेष संवैधानिक पॉवर खत्म हो गई थी। केंद्र ने जम्मू और कश्मीर को तो राज्य का दर्जा दिया गया है लेकिन लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है। वांगचुक का कहना है कि केंद्रशासित राज्य होने के कारण इसकी सत्ता का केंद्र दिल्ली से है, और इस वजह से यहां इंडस्ट्रीज आकर पर्यावरण के साथ तो छेड़छाड़ कर ही रही है, साथ ही यहां को लोगों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। हम सभी अपनी लाइफ में एक बार तो लद्दाख जाना चाहते हैं लेकिन कोई भी लद्दाख में चल रही इस बड़ी समस्या को बाकियों तक पहुंचाना नहीं चाहता।