धर्म-संस्कृति
सोमवार को दुर्गा अष्टमी पर्व उपवास मनाया जाएगा।
15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को दुर्गा अष्टमी पर्व उपवास मनाया जाएगा। (चूकी नवरात्रि में रात्रि पूजा का विधान है अष्टमी तिथि रात्रि में केवल 15 अप्रैल 2024 को होने के कारण दुर्गा अष्टमी 15 को मनाई जाएगी) दुर्गा अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के स्वरूप महागौरी की पूजा विधान है। सभी जातक यदि पूर्ण श्रद्धा भाव से दुर्गा अष्टमी का उपवास रखें व पूजा अर्चना करें तो उनके जीवन में सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है।
इस वर्ष दुर्गाष्टमी पर कुछ शुभ योग बनने जा रहे हैं सर्वार्थ सिद्धि योग, तथा शुकर्मा योग में सभी कार्य सिद्ध होंगे।
अष्टमी मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ 15 अप्रैल 2024 अपराह्न 12:14 से 16 अप्रैल 2024 अपराह्न 1:26 तक रहेगी तत्पश्चात नवमी तिथि प्रारंभ।
पूजा विधि
प्रातःकाल सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में जाग कर संपूर्ण घर एवं पूजा स्थल को स्वच्छ करें। स्नानादि करने के उपरांत उपवास का संकल्प लें। पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें। अखंड ज्योत प्रज्वलित करें।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। मां दुर्गा को पंचगव्य से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं, एवं वस्त्र अर्पित करें, मां दुर्गा को सोलह श्रृंगार अर्पित करें, उन्हें रोली,अक्षत,चंदन, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें। पंचामृत, पंचमेवा, पंच मिठाई, फल का भोग अर्पित करें। हलवा एवं चना भोग स्वरूप अर्पित करें। दुर्गा सप्तशती दुर्गा, चालीसा का पाठ करें।
इन मंत्रों का पाठ करें।
1– श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
2- या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
तत्पश्चात घी के दीपक में 8 बत्तियां जला कर माता दुर्गा की आरती करें।
दुर्गाष्टमी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर अत्यंत शक्तिशाली हो गए थे और स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे। और स्वर्ग में हाहाकार प्रारंभ कर दिया । इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था। भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। सभी देवताओं ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किए। आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया। उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।
मार्कंडेय पुराण में अष्टमी पर देवी पूजा का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस दिन देवी पूजा से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन हवन पूजन का विशेष महत्व है।
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