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दुनिया में एकमात्र गुफा चित्रों का संग्रहालय गीता धाम भीमताल में है स्थित : पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल के 40 साल की मेहनत से बना है अनोखा, जानें डॉ. मठपाल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।।

भीमताल

दुनिया में एकमात्र गुफा चित्रों का संग्रहालय गीता धाम भीमताल में है स्थित : पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल के 40 साल की मेहनत से बना है अनोखा, जानें डॉ. मठपाल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।।

डॉ. यशोधर मठपाल जिन्होंने बड़ाया उत्तराखंड का मान

भीमताल – संस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी धरोहरों के साथ-साथ यहां के कई महान कलाकारों की वजह से भी जानी जाती है. यहां के कई महान कलाकारों ने अल्मोड़ा के साथ- साथ पूरे उत्तराखंड का मान बड़ाया है. उनमें से एक हैं अल्मोड़ा के नौला गांव में जन्मे डॉ. यशोधर मठपाल, जिन्हें 2006 में पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया .

डॉ यशोधर मठपाल बचपन से ही चित्र बनाने का शौक रखते थे. चित्र बनाते-बनाते हैं उनके मन में सवाल उठे आखिर चित्र क्यों बनाए जाते हैं. इसकी जिज्ञासा उन्हें पुरातत्व की ओर ले गई.उसके बाद वह पुरातत्व की ओर चले गए । उन्हें देखने को मिला कि आदि मानव कैसे अपनी बातों को चित्र के माध्यम से पत्थरों या फिर दीवारों में कैसे बनाते हैं. इसको लेकर उन्होंने करीब 400 गुफाओं का शोध कार्य किया डॉ. यशोधर ने बताया कि भारतीय पाषाण कालीन गुफा कला को लेकर वह 1973 से लेकर 2003 तक अलग-अलग गुफाओं में रहे।।

इन राज्यों में 30 सालों तक गुफाओं में रहे

उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र और केरला की गुफाओं में करीब 30 सालों तक उन्होंने अपना समय बिताया और शोध कार्य किया. जिसको लेकर उन्होंने अभी तक 50 से ज्यादा किताबें भी लिखी हैं.पुरातत्व के क्षेत्र में दुनियाभर में ख्याति प्राप्त कर चुके पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल केवल पुरातत्व वेत्ता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन चित्रकार भी हैं। आदिम युग के गुफा चित्रों पर ज्ञान का भंडार माने जाने वाले डॉ. मठपाल का दावा है कि गुफा चित्रों का दुनिया का एकमात्र संग्रहालय भी उन्हीं के पास है।डॉ. मठपाल अमेरिका से लेकर आस्ट्रेलिया तक अलग-अलग देशों में अब तक गुफा चित्रों की 30 से अधिक प्रदर्शनियां भी लगा चुके हैं। उनके द्वारा मध्य प्रदेश के भीमबेडका में स्थित गुफा चित्रों पर किए गए शोधकार्यों के बाद ही यूनेस्को ने देश के 700 कला केंद्रों में से भीमबेडका को अपनी धरोहरों में स्थान दिया है।

भीमताल भवाली रोड पर स्थित है गीता धाम

भीमताल भवाली रोड पर खुटानी नामक स्थान पर डॉ. मठपाल ने 1983 में लोक संस्कृति संग्रहालय गीताधाम की स्थापना की। यूं तो इस संग्रहालय में कई महत्वपूर्ण अभिलेख और करोड़ों वर्ष पुरानी चीजें मौजूद हैं लेकिन गुफा चित्रों के चलते संग्रहालय दुनियाभर में प्रसिद्ध है।डॉ. मठपाल ने बताया कि पुरातत्व वेत्ता प्रायः गुफा चित्रों की फोटो लेकर उनकी अनुकृति तैयार करते हैं और गुफा चित्रों की पृष्ठभूमि पर इसलिए ध्यान नहीं देते क्योंकि वह चित्रकार नहीं होते। पुरातत्व वेत्ता होने के साथ-साथ चित्रकार होने के कारण डॉ. मठपाल ने दोनों पर ध्यान दिया।

विश्व सम्मेलन में डॉ. मठपाल के गुफा चित्रों को वैज्ञानिकों ने सराहा

वर्ष 1973 से डॉ, मठपाल ने गुफा चित्रों का अध्ययन मध्य प्रदेश के भीमबेडका स्थित गुफा चित्रों से शुरू किया और जल रंगों की मदद से गुफा चित्रों को मय पृष्ठभूमि के कागजों पर उतारा। इंग्लैंड में 1986 में आयोजित विश्व सम्मेलन में डॉ. मठपाल के गुफा चित्रों को वैज्ञानिकों ने सराहा ही नहीं बल्कि डॉ. मठपाल के चित्रों के आधार पर इस तथ्य को भी स्वीकार लिया कि आदिमानव के बनाए चित्रों को संरक्षित करने का यही सही माध्यम है।

डॉ. मठपाल का दावा है कि लोक संस्कृति संग्रहालय विश्व में एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जहां देश के 15 हजार वर्ष पुराने चित्रों की यथार्थ अनुकृतियां आम लोगों को देखने को मिलती हैं। बीते 44 साल से गुफा चित्रों का अध्ययन कर रहे डा. मठपाल अब तक गुफा चित्रों में मिले सैकड़ों जीव जंतुओं और आदि मानव के अधिकांश आर्थिक, सांस्कृतिक और सामजिक कार्यकलापों का अध्ययन कर चुके हैं। डा. मठपाल के संग्रहालय में दो सौ से अधिक गुफा चित्र मौजूद हैं और इनमें कई गुफा चित्र तो आठ फुट से भी लंबे हैं।

घर की कोई भी पुरानी वस्तु यहां जमा भी कर सकते हैं

पद्मश्री और पुरातत्व वेत्ता डॉ. यशोधर मठपाल कहते हैं कि आज भी लोगों के घरों में वर्षों पुराने दस्तावेज याकई महत्वपूर्ण चीजें मौजूद है, जिनकी उन्हें अब कोई जरूरत नहीं है। यही कारण है कि लोग ऐसी चीजों को औने पौने दामों पर कबाड़ियों को बेच रहे हैं। डॉ. मठपाल ने लोगों से अपील की है कि यदि उनके घरों में कोई भी प्राचीन वस्तु या दस्तावेज है तो उसे कबाड़ियों को न बेचे बल्कि संग्रहालय को उपलब्ध कराएं। वह कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति संग्रहालय में इस तरह की सामग्री लाता है तो उसे उसकी चीज का उचित मूल्य भी दिया जाएगा।

लिखी हुई कुछ प्रमुख किताबें

• भीमबेटका की प्रागैतिहासिक रॉक पेंटिंग, सेंट्रल इंडिया 1984

• भोंरावली पहाड़ी की रॉक कला 1998

• कुमाऊं हिमालय में रॉक आर्ट 1995

• केरल में रॉक आर्ट 1998

• कुमाऊँ पेंटिंग 1998

• उत्तराखंड का काष्ठ शिल्प 1997 (हिंदी)

• प्रागैतिहासिक मानव के कार्य कलाप 1987 (हिंदी)

• कुमाऊँ की सूर्य एवं कार्तिकेय प्रतिमाएं 1994 (हिंदी)

• संवेता, अल्मोडा बुक डिपो 1996 (हिन्दी)

• संहिता, अल्मोडा बुक डिपो 1996 (हिन्दी)• चित्रित पाषाण, गीताधाम प्रकाशन भीमताल, 2002 (हिंदी)

• सूत्र मणि गाना इव, गीताधाम प्रकाशन भीमताल, 2002 (हिंदी)

• दुर्गा छाया, गीताधाम प्रकाशन भीमताल, 2001 (हिंदी)

• गीता छाया, गीताधाम प्रकाशन भीमताल, 1998 (हिंदी)

• एकांत के बोल, गीताधाम प्रकाशन भीमताल, 2002 (हिंदी)

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