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हिंदी भाषी प्रदेश उत्तराखंड में बच्चे नहीं पढ़ पा रहे हिंदी : जिम्मेदार कौन ?

उत्तराखण्ड

हिंदी भाषी प्रदेश उत्तराखंड में बच्चे नहीं पढ़ पा रहे हिंदी : जिम्मेदार कौन ?

हिंदी भाषी प्रदेश में बच्चे नहीं पढ़ पा रहे हैं हिंदी .. हमारा राज्य उत्तराखंड हिंदी भाषी प्रदेश है और यहां की मुख्य भाषा हिंदी ही है लेकिन अफसोस फिर भी बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पा रहे हैं वह स्कूल तो जा रहे हैं लेकिन किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं इसका क्या कारण है यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन इसमें शिक्षकों की कमी को भी देखा जा सकता है और शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके या कम पढ़ाने से भी बच्चों को पढ़ने में दिक्कत का सामना होता है. यहां तक कि अगर मां-बाप अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दें और उनको खुला छोड़ दें तो बच्चे भी पढ़ाई ढ़ंग से नहीं करते हैं..
साफ है माता-पिता के साथ-साथ अध्यापकों को बच्चों के प्रति और ज्यादा रुचि रखती होगी इसके बाद बच्चे ठीक से हिंदी पढ़ना सीख पाएंगे ..
नया मामला गोपेश्वर का है जहां औचक निरीक्षण में गए सीईओ ने अनेक विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया इसमें अनेक विद्यालयों के बच्चे ठीक से किताब नहीं पढ़ पाए इसके बाद पांच शिक्षकों का एक माह का वेतन रोक दिया गया, साथ ही शिक्षकों को शिक्षा में सुधार लाने के लिए भी कहा उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को निपुण भारत मिशन के तहत निशुल्क कार्य पुस्तिकाएं भी दी गई हैं ..
पहाड़ के बच्चे बचपन से ही पढ़ाई के प्रति रुचि कम रख रहे हैं और कुछ उम्र बढ़ जाने के बाद वह नशे की तरफ अग्रसर हो रहे हैं अगर इस समय बच्चों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चे आगे गलत दिशा में जा सकते हैं सभी शिक्षकों और माता-पिता और सामाजिक लोगों की जिम्मेदारी है कि किसी भी बच्चे को गलत दिशा में जाने से रोके और उसे पढ़ाई के महत्व के बारे में बताएं जिससे वह एक सफल आदमी बन सके..

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